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सूरह अल-अह्काफ़ आयत ८

اَمْ يَقُوْلُوْنَ افْتَرٰىهُ ۗ قُلْ اِنِ افْتَرَيْتُهٗ فَلَا تَمْلِكُوْنَ لِيْ مِنَ اللّٰهِ شَيْـًٔا ۗهُوَ اَعْلَمُ بِمَا تُفِيْضُوْنَ فِيْهِۗ كَفٰى بِهٖ شَهِيْدًا ۢ بَيْنِيْ وَبَيْنَكُمْ ۗ وَهُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِيْمُ  ( الأحقاف: ٨ )

Or
أَمْ
या
they say
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
"He has invented it"
ٱفْتَرَىٰهُۖ
कि इसने गढ़ लिया है उसे
Say
قُلْ
कह दीजिए
"If
إِنِ
अगर
I have invented it
ٱفْتَرَيْتُهُۥ
मैं ने गढ़ लिया है उसे
then not
فَلَا
तो नहीं
you have power
تَمْلِكُونَ
तुम मालिक हो सकते
for me
لِى
मेरे लिए
against
مِنَ
अल्लाह से
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह से
anything
شَيْـًٔاۖ
किसी चीज़ के
He
هُوَ
वो
knows best
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानने वाला है
of what
بِمَا
उसे जो
you utter
تُفِيضُونَ
तुम मश्ग़ूल होते हो
concerning it
فِيهِۖ
जिसमें
Sufficient is He
كَفَىٰ
काफ़ी है
Sufficient is He
بِهِۦ
उसका
(as) a Witness
شَهِيدًۢا
गवाह होना
between me
بَيْنِى
दर्मियान मेरे
and between you
وَبَيْنَكُمْۖ
और दर्मियान तुम्हारे
and He
وَهُوَ
और वो ही है
(is) the Oft-Forgiving
ٱلْغَفُورُ
बहुत बख़्शने वाला
the Most Merciful
ٱلرَّحِيمُ
निहायत रहम करने वाला

Am yaqooloona iftarahu qul ini iftaraytuhu fala tamlikoona lee mina Allahi shayan huwa a'lamu bima tufeedoona feehi kafa bihi shaheedan baynee wabaynakum wahuwa alghafooru alrraheemu (al-ʾAḥq̈āf 46:8)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

(क्या ईमान लाने से उन्हें कोई चीज़ रोक रही है) या वे कहते है, 'उसने इसे स्वयं ही घड़ लिया है?' कहो, 'यदि मैंने इसे स्वयं घड़ा है तो अल्लाह के विरुद्ध मेरे लिए तुम कुछ भी अधिकार नहीं रखते। जिसके विषय में तुम बातें बनाने में लगे हो, वह उसे भली-भाँति जानता है। और वह मेरे और तुम्हारे बीच गवाह की हैसियत से काफ़ी है। और वही बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है।'

English Sahih:

Or do they say, "He has invented it"? Say, "If I have invented it, you will not possess for me [the power of protection] from Allah at all. He is most knowing of that in which you are involved. Sufficient is He as Witness between me and you, and He is the Forgiving, the Merciful." ([46] Al-Ahqaf : 8)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

क्या ये कहते हैं कि इसने इसको ख़ुद गढ़ लिया है तो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर मैं इसको (अपने जी से) गढ़ लेता तो तुम ख़ुदा के सामने मेरे कुछ भी काम न आओगे जो जो बातें तुम लोग उसके बारे में करते रहते हो वह ख़ूब जानता है मेरे और तुम्हारे दरमियान वही गवाही को काफ़ी है और वही बड़ा बख्शने वाला है मेहरबान है