قُلْ مَا كُنْتُ بِدْعًا مِّنَ الرُّسُلِ وَمَآ اَدْرِيْ مَا يُفْعَلُ بِيْ وَلَا بِكُمْۗ اِنْ اَتَّبِعُ اِلَّا مَا يُوْحٰٓى اِلَيَّ وَمَآ اَنَا۠ اِلَّا نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌ ( الأحقاف: ٩ )
Qul ma kuntu bid'an mina alrrusuli wama adree ma yuf'alu bee wala bikum in attabi'u illa ma yooha ilayya wama ana illa natheerun mubeenun (al-ʾAḥq̈āf 46:9)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कह दो, 'मैं कोई पहला रसूल तो नहीं हूँ। और मैं नहीं जानता कि मेरे साथ क्या किया जाएगा और न यह कि तुम्हारे साथ क्या किया जाएगा। मैं तो बस उसी का अनुगामी हूँ, जिसकी प्रकाशना मेरी ओर की जाती है और मैं तो केवल एक स्पष्ट सावधान करनेवाला हूँ।'
English Sahih:
Say, "I am not something original among the messengers, nor do I know what will be done with me or with you. I only follow that which is revealed to me, and I am not but a clear warner." ([46] Al-Ahqaf : 9)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं कोई नया रसूल तो आया नहीं हूँ और मैं कुछ नहीं जानता कि आइन्दा मेरे साथ क्या किया जाएगा और न (ये कि) तुम्हारे साथ क्या किया जाएगा मैं तो बस उसी का पाबन्द हूँ जो मेरे पास वही आयी है और मैं तो बस एलानिया डराने वाला हूँ