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طَاعَةٌ وَّقَوْلٌ مَّعْرُوْفٌۗ فَاِذَا عَزَمَ الْاَمْرُۗ فَلَوْ صَدَقُوا اللّٰهَ لَكَانَ خَيْرًا لَّهُمْۚ  ( محمد: ٢١ )

(Is) obedience
طَاعَةٌ
इताअत करना
and a word
وَقَوْلٌ
और बात कहना
kind
مَّعْرُوفٌۚ
भली(बेहतर है)
And when
فَإِذَا
फिर जब
(is) determined
عَزَمَ
पुख़्ता हो जाए
the matter
ٱلْأَمْرُ
हुक्म(जंग का)
then if
فَلَوْ
फिर अगर
they had been true
صَدَقُوا۟
वो सच्चे रहें
(to) Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह से
surely it would have been
لَكَانَ
अलबत्ता होगा
better
خَيْرًا
बेहतर
for them
لَّهُمْ
उनके लिए

Ta'atun waqawlun ma'roofun faitha 'azama alamru falaw sadaqoo Allaha lakana khayran lahum (Muḥammad 47:21)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उनके लिए उचित है आज्ञापालन और अच्छी-भली बात। फिर जब (युद्ध की) बात पक्की हो जाए (तो युद्ध करना चाहिए) तो यदि वे अल्लाह के लिए सच्चे साबित होते तो उनके लिए ही अच्छा होता

English Sahih:

Obedience and good words. And when the matter [of fighting] was determined, if they had been true to Allah, it would have been better for them. ([47] Muhammad : 21)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(उनके लिए अच्छा काम तो) फरमाबरदारी और पसन्दीदा बात है फिर जब लड़ाई ठन जाए तो अगर ये लोग ख़ुदा से सच्चे रहें तो उनके हक़ में बहुत बेहतर है