وَهُوَ الَّذِيْ كَفَّ اَيْدِيَهُمْ عَنْكُمْ وَاَيْدِيَكُمْ عَنْهُمْ بِبَطْنِ مَكَّةَ مِنْۢ بَعْدِ اَنْ اَظْفَرَكُمْ عَلَيْهِمْ ۗوَكَانَ اللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرًا ( الفتح: ٢٤ )
And He
وَهُوَ
और वो ही है
(is) the One Who
ٱلَّذِى
जिसने
withheld
كَفَّ
रोक दिया
their hands
أَيْدِيَهُمْ
उनके हाथों को
from you
عَنكُمْ
तुम से
and your hands
وَأَيْدِيَكُمْ
और तुम्हारे हाथों को
from them
عَنْهُم
उनसे
within
بِبَطْنِ
वादी में
Makkah
مَكَّةَ
मक्का की
after
مِنۢ
उसके बाद
after
بَعْدِ
उसके बाद
that
أَنْ
कि
He gave you victory
أَظْفَرَكُمْ
उसने कामयाब किया तुम्हें
over them
عَلَيْهِمْۚ
उन पर
And is
وَكَانَ
और है
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
of what
بِمَا
उसे जो
you do
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
All-Seer
بَصِيرًا
ख़ूब देखने वाला
Wahuwa allathee kaffa aydiyahum 'ankum waaydiyakum 'anhum bibatni makkata min ba'di an athfarakum 'alayhim wakana Allahu bima ta'maloona baseeran (al-Fatḥ 48:24)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वही है जिसने उसके हाथ तुमसे और तुम्हारे हाथ उनसे मक्के की घाटी में रोक दिए इसके पश्चात कि वह तुम्हें उनपर प्रभावी कर चुका था। अल्लाह उसे देख रहा था जो कुछ तुम कर रहे थे
English Sahih:
And it is He who withheld their hands from you and your hands from them within [the area of] Makkah after He caused you to overcome them. And ever is Allah, of what you do, Seeing. ([48] Al-Fath : 24)