لَقَدْ صَدَقَ اللّٰهُ رَسُوْلَهُ الرُّءْيَا بِالْحَقِّ ۚ لَتَدْخُلُنَّ الْمَسْجِدَ الْحَرَامَ اِنْ شَاۤءَ اللّٰهُ اٰمِنِيْنَۙ مُحَلِّقِيْنَ رُءُوْسَكُمْ وَمُقَصِّرِيْنَۙ لَا تَخَافُوْنَ ۗفَعَلِمَ مَا لَمْ تَعْلَمُوْا فَجَعَلَ مِنْ دُوْنِ ذٰلِكَ فَتْحًا قَرِيْبًا ( الفتح: ٢٧ )
Laqad sadaqa Allahu rasoolahu alrruya bialhaqqi latadkhulunna almasjida alharama in shaa Allahu amineena muhalliqeena ruoosakum wamuqassireena la takhafoona fa'alima ma lam ta'lamoo faja'ala min dooni thalika fathan qareeban (al-Fatḥ 48:27)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
निश्चय ही अल्लाह ने अपने रसूल को हक़ के साथ सच्चा स्वप्न दिखाया, 'यदि अल्लाह ने चाहा तो तुम अवश्य मस्जिदे हराम (काबा) में प्रवेश करोगे बेखटके, अपने सिर के बाल मुड़ाते और कतरवाते हुए, तुम्हें कोई भय न होगा।' हुआ यह कि उसने वह बात जान ली जो तुमने नहीं जानी। अतः इससे पहले उसने शीघ्र प्राप्त होनेवाली विजय तुम्हारे लिए निश्चिंत कर दी
English Sahih:
Certainly has Allah showed to His Messenger the vision [i.e., dream] in truth. You will surely enter al-Masjid al-Haram, if Allah wills, in safety, with your heads shaved and [hair] shortened, not fearing [anyone]. He knew what you did not know and has arranged before that a conquest near [at hand]. ([48] Al-Fath : 27)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
बेशक ख़ुदा ने अपने रसूल को सच्चा मुताबिके वाक़ेया ख्वाब दिखाया था कि तुम लोग इन्शाअल्लाह मस्जिदुल हराम में अपने सर मुँडवा कर और अपने थोड़े से बाल कतरवा कर बहुत अमन व इत्मेनान से दाख़िल होंगे (और) किसी तरह का ख़ौफ न करोगे तो जो बात तुम नहीं जानते थे उसको मालूम थी तो उसने फ़तेह मक्का से पहले ही बहुत जल्द फतेह अता की