قُلْ هَلْ اُنَبِّئُكُمْ بِشَرٍّ مِّنْ ذٰلِكَ مَثُوْبَةً عِنْدَ اللّٰهِ ۗمَنْ لَّعَنَهُ اللّٰهُ وَغَضِبَ عَلَيْهِ وَجَعَلَ مِنْهُمُ الْقِرَدَةَ وَالْخَنَازِيْرَ وَعَبَدَ الطَّاغُوْتَۗ اُولٰۤىِٕكَ شَرٌّ مَّكَانًا وَّاَضَلُّ عَنْ سَوَاۤءِ السَّبِيْلِ ( المائدة: ٦٠ )
Qul hal onabbiokum bisharrin min thalika mathoobatan 'inda Allahi man la'anahu Allahu waghadiba 'alayhi waja'ala minhumu alqiradata waalkhanazeera wa'abada alttaghooti olaika sharrun makanan waadallu 'an sawai alssabeeli (al-Māʾidah 5:60)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहो, 'क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि अल्लाह के यहाँ परिणाम की स्पष्ट से इससे भी बुरी नीति क्या है? कौन गिरोह है जिसपर अल्लाह की फिटकार पड़ी और जिसपर अल्लाह का प्रकोप हुआ और जिसमें से उसने बन्दर और सूअर बनाए और जिसने बढ़े हुए फ़सादी (ताग़ूत) की बन्दगी की, वे लोग (तुमसे भी) निकृष्ट दर्जे के थे। और वे (तुमसे भी अधिक) सीधे मार्ग से भटके हुए थे।'
English Sahih:
Say, "Shall I inform you of [what is] worse than that as penalty from Allah? [It is that of] those whom Allah has cursed and with whom He became angry and made of them apes and pigs and slaves of Taghut. Those are worse in position and further astray from the sound way." ([5] Al-Ma'idah : 60)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तुम्हें ख़ुदा के नज़दीक सज़ा में इससे कहीं बदतर ऐब बता दूं (अच्छा लो सुनो) जिसपर ख़ुदा ने लानत की हो और उस पर ग़ज़ब ढाया हो और उनमें से किसी को (मसख़ करके) बन्दर और (किसी को) सूअर बना दिया हो और (ख़ुदा को छोड़कर) शैतान की परस्तिश की हो पस ये लोग दरजे में कहीं बदतर और राहे रास्त से भटक के सबसे ज्यादा दूर जा पहुंचे हैं