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وَكَمْ اَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِّنْ قَرْنٍ هُمْ اَشَدُّ مِنْهُمْ بَطْشًا فَنَقَّبُوْا فِى الْبِلَادِۗ هَلْ مِنْ مَّحِيْصٍ   ( ق: ٣٦ )

And how many
وَكَمْ
और कितनी ही
We destroyed
أَهْلَكْنَا
हलाक कीं हमने
before them
قَبْلَهُم
उनसे पहले
of
مِّن
उम्मतें
a generation
قَرْنٍ
उम्मतें
they
هُمْ
वो
(were) stronger
أَشَدُّ
ज़्यादा शदीद थीं
than them
مِنْهُم
उनसे
(in) power
بَطْشًا
पकड़ में
so they explored
فَنَقَّبُوا۟
तो उन्होंने छान मारा था
throughout
فِى
मुल्कों को
the lands
ٱلْبِلَٰدِ
मुल्कों को
Is (there)
هَلْ
क्या है
any
مِن
कोई जाए पनाह
place of escape?
مَّحِيصٍ
कोई जाए पनाह

Wakam ahlakna qablahum min qarnin hum ashaddu minhum batshan fanaqqaboo fee albiladi hal min maheesin (Q̈āf 50:36)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उनसे पहले हम कितनी ही नस्लों को विनष्ट कर चुके है। वे लोग शक्ति में उनसे कहीं बढ़-चढ़कर थे। (पनाह की तलाश में) उन्होंने नगरों को छान मारा, कोई है भागने को ठिकाना?

English Sahih:

And how many a generation before them did We destroy who were greater than them in [striking] power and had explored throughout the lands. Is there any place of escape? ([50] Qaf : 36)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और हमने तो इनसे पहले कितनी उम्मतें हलाक कर डाली जो इनसे क़ूवत में कहीं बढ़ कर थीं तो उन लोगों ने (मौत के ख़ौफ से) तमाम शहरों को छान मारा कि भला कहीं भी भागने का ठिकाना है