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وَالْاَرْضَ مَدَدْنٰهَا وَاَلْقَيْنَا فِيْهَا رَوَاسِيَ وَاَنْۢبَتْنَا فِيْهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍۢ بَهِيْجٍۙ   ( ق: ٧ )

And the earth
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन
We have spread it out
مَدَدْنَٰهَا
फैलाया हमने उसे
and cast
وَأَلْقَيْنَا
और डाले हमने
therein
فِيهَا
उसमें
firmly set mountains
رَوَٰسِىَ
पहाड़
and We made to grow
وَأَنۢبَتْنَا
और उगाए हमने
therein
فِيهَا
उसमें
of
مِن
हर क़िस्म के
every
كُلِّ
हर क़िस्म के
kind
زَوْجٍۭ
जोड़े
beautiful
بَهِيجٍ
बारौनक़

Waalarda madadnaha waalqayna feeha rawasiya waanbatna feeha min kulli zawjin baheejin (Q̈āf 50:7)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और धरती को हमने फैलाया और उसमे अटल पहाड़ डाल दिए। और हमने उसमें हर प्रकार की सुन्दर चीज़े उगाई,

English Sahih:

And the earth – We spread it out and cast therein firmly set mountains and made grow therein [something] of every beautiful kind, ([50] Qaf : 7)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ज़मीन को हमने फैलाया और उस पर बोझल पहाड़ रख दिये और इसमें हर तरह की ख़ुशनुमा चीज़ें उगाई ताकि तमाम रूजू लाने वाले