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يَسْـَٔلُهٗ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ كُلَّ يَوْمٍ هُوَ فِيْ شَأْنٍۚ  ( الرحمن: ٢٩ )

Asks Him
يَسْـَٔلُهُۥ
माँगता है उसी से
whoever
مَن
जो भी
(is) in
فِى
आसमनों में
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमनों में
and the earth
وَٱلْأَرْضِۚ
और ज़मीन में है
Every
كُلَّ
हर
day
يَوْمٍ
दिन
He
هُوَ
वो
(is) in
فِى
एक नई शान में है
a matter
شَأْنٍ
एक नई शान में है

Yasaluhu man fee alssamawati waalardi kulla yawmin huwa fee shanin (ar-Raḥmān 55:29)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

आकाशों और धरती में जो भी है उसी से माँगता है। उसकी नित्य नई शान है

English Sahih:

Whoever is within the heavens and earth asks Him; every day He is in [i.e., bringing about] a matter. ([55] Ar-Rahman : 29)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जितने लोग सारे आसमान व ज़मीन में हैं (सब) उसी से माँगते हैं वह हर रोज़ (हर वक्त) मख़लूक के एक न एक काम में है