مُتَّكِـِٕيْنَ عَلٰى فُرُشٍۢ بَطَاۤىِٕنُهَا مِنْ اِسْتَبْرَقٍۗ وَجَنَا الْجَنَّتَيْنِ دَانٍۚ ( الرحمن: ٥٤ )
Reclining
مُتَّكِـِٔينَ
तकिया लगाए हुए होंगे
on
عَلَىٰ
ऐसे बिस्तरों पर
couches
فُرُشٍۭ
ऐसे बिस्तरों पर
(whose) inner linings
بَطَآئِنُهَا
अस्तर जिनके
(are) of
مِنْ
मोटे रेशम के होंगे
brocade
إِسْتَبْرَقٍۚ
मोटे रेशम के होंगे
and (the) fruit
وَجَنَى
और फल
(of) both the gardens
ٱلْجَنَّتَيْنِ
दोनों बाग़ों के
(is) near
دَانٍ
झुके हुए होंगे
Muttakieena 'ala furushin batainuha min istabraqin wajana aljannatayni danin (ar-Raḥmān 55:54)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वे ऐसे बिछौनो पर तकिया लगाए हुए होंगे जिनके अस्तर गाढे रेशम के होंगे, और दोनों बाग़ो के फल झुके हुए निकट ही होंगे।
English Sahih:
[They are] reclining on beds whose linings are of silk brocade, and the fruit of the two gardens is hanging low. ([55] Ar-Rahman : 54)