يَوْمَ يَقُوْلُ الْمُنٰفِقُوْنَ وَالْمُنٰفِقٰتُ لِلَّذِيْنَ اٰمَنُوا انْظُرُوْنَا نَقْتَبِسْ مِنْ نُّوْرِكُمْۚ قِيْلَ ارْجِعُوْا وَرَاۤءَكُمْ فَالْتَمِسُوْا نُوْرًاۗ فَضُرِبَ بَيْنَهُمْ بِسُوْرٍ لَّهٗ بَابٌۗ بَاطِنُهٗ فِيْهِ الرَّحْمَةُ وَظَاهِرُهٗ مِنْ قِبَلِهِ الْعَذَابُۗ ( الحديد: ١٣ )
Yawma yaqoolu almunafiqoona waalmunafiqatu lillatheena amanoo onthuroona naqtabis min noorikum qeela irji'oo waraakum failtamisoo nooran faduriba baynahum bisoorin lahu babun batinuhu feehi alrrahmatu wathahiruhu min qibalihi al'athabu (al-Ḥadīd 57:13)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिस दिन कपटाचारी पुरुष और कपटाचारी स्त्रियाँ मोमिनों से कहेंगी, 'तनिक हमारी प्रतिक्षा करो। हम भी तुम्हारे प्रकाश मे से कुछ प्रकाश ले लें!' कहा जाएगा, 'अपने पीछे लौट जाओ। फिर प्रकाश तलाश करो!' इतने में उनके बीच एक दीवार खड़ी कर दी जाएगी, जिसमें एक द्वार होगा। उसके भीतर का हाल यह होगा कि उसमें दयालुता होगी और उसके बाहर का यह कि उस ओर से यातना होगी
English Sahih:
On the [same] Day the hypocrite men and hypocrite women will say to those who believed, "Wait for us that we may acquire some of your light." It will be said, "Go back behind you and seek light." And a wall will be placed between them with a door, its interior containing mercy, but on the outside of it is torment. ([57] Al-Hadid : 13)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
उस दिन मुनाफ़िक मर्द और मुनाफ़िक औरतें ईमानदारों से कहेंगे एक नज़र (शफ़क्क़त) हमारी तरफ़ भी करो कि हम भी तुम्हारे नूर से कुछ रौशनी हासिल करें तो (उनसे) कहा जाएगा कि तुम अपने पीछे (दुनिया में) लौट जाओ और (वही) किसी और नूर की तलाश करो फिर उनके बीच में एक दीवार खड़ी कर दी जाएगी जिसमें एक दरवाज़ा होगा (और) उसके अन्दर की जानिब तो रहमत है और बाहर की तरफ अज़ाब तो मुनाफ़िक़ीन मोमिनीन से पुकार कर कहेंगे