وَالَّذِيْنَ جَاۤءُوْ مِنْۢ بَعْدِهِمْ يَقُوْلُوْنَ رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا وَلِاِخْوَانِنَا الَّذِيْنَ سَبَقُوْنَا بِالْاِيْمَانِ وَلَا تَجْعَلْ فِيْ قُلُوْبِنَا غِلًّا لِّلَّذِيْنَ اٰمَنُوْا رَبَّنَآ اِنَّكَ رَءُوْفٌ رَّحِيْمٌ ࣖ ( الحشر: ١٠ )
Waallatheena jaoo min ba'dihim yaqooloona rabbana ighfir lana waliikhwanina allatheena sabaqoona bialeemani wala taj'al fee quloobina ghillan lillatheena amanoo rabbana innaka raoofun raheemun (al-Ḥašr 59:10)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और (इस माल में उनका भी हिस्सा है) जो उनके बाद आए, वे कहते है, 'ऐ हमारे रब! हमें क्षमा कर दे और हमारे उन भाइयों को भी जो ईमानलाने में हमसे अग्रसर रहे और हमारे दिलों में ईमानवालों के लिए कोई विद्वेष न रख। ऐ हमारे रब! तू निश्चय ही बड़ा करुणामय, अत्यन्त दयावान है।'
English Sahih:
And [there is a share for] those who come after them, saying, "Our Lord, forgive us and our brothers who preceded us in faith and put not in our hearts [any] resentment toward those who have believed. Our Lord, indeed You are Kind and Merciful." ([59] Al-Hashr : 10)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और उनका भी हिस्सा है और जो लोग उन (मोहाजेरीन) के बाद आए (और) दुआ करते हैं कि परवरदिगारा हमारी और उन लोगों की जो हमसे पहले ईमान ला चुके मग़फेरत कर और मोमिनों की तरफ से हमारे दिलों में किसी तरह का कीना न आने दे परवरदिगार बेशक तू बड़ा शफीक़ निहायत रहम वाला है