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فَكَانَ عَاقِبَتَهُمَآ اَنَّهُمَا فِى النَّارِ خَالِدَيْنِ فِيْهَاۗ وَذٰلِكَ جَزٰۤؤُا الظّٰلِمِيْنَ ࣖ  ( الحشر: ١٧ )

So will be
فَكَانَ
पस हुआ
(the) end of both of them
عَٰقِبَتَهُمَآ
अंजाम उन दोनों का
that they will
أَنَّهُمَا
कि बेशक वो दोनों
(be) in
فِى
आग में होंगे
the Fire
ٱلنَّارِ
आग में होंगे
abiding forever
خَٰلِدَيْنِ
दोनों हमेशा रहने वाले
therein
فِيهَاۚ
उसमें
And that
وَذَٰلِكَ
और यही है
(is the) recompense
جَزَٰٓؤُا۟
बदला
(of) the wrongdoers
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों का

Fakana 'aqibatahuma annahuma fee alnnari khalidayni feeha wathalika jazao alththalimeena (al-Ḥašr 59:17)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर उन दोनों का परिणाम यह हुआ कि दोनों आग में गए, जहाँ सदैव रहेंगे। और ज़ालिमों का यही बदला है

English Sahih:

So the outcome for both of them is that they will be in the Fire, abiding eternally therein. And that is the recompense of the wrongdoers. ([59] Al-Hashr : 17)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो दोनों का नतीजा ये हुआ कि दोनों दोज़ख़ में (डाले) जाएँगे और उसमें हमेशा रहेंगे और यही तमाम ज़ालिमों की सज़ा है