वे लोग तो अल्लाह की कड़ी-कड़ी क़समें खाते है कि यदि उनके पास कोई निशानी आ जाए, तो उसपर वे अवश्य ईमान लाएँगे। कह दो, 'निशानियाँ तो अल्लाह ही के पास है।' और तुम्हें क्या पता कि जब वे आ जाएँगी तो भी वे ईमान नहीं लाएँगे
English Sahih:
And they swear by Allah their strongest oaths that if a sign came to them, they would surely believe in it. Say, "The signs are only with [i.e., from] Allah." And what will make you perceive that even if it [i.e., a sign] came, they would not believe. ([6] Al-An'am : 109)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और उन लोगों ने ख़ुदा की सख्त सख्त क़समें खायीं कि अगर उनके पास कोई मौजिजा आए तो वह ज़रूर उस पर ईमान लाएँगे (ऐ रसूल) तुम कहो कि मौजिज़े तो बस ख़ुदा ही के पास हैं और तुम्हें क्या मालूम ये यक़ीनी बात है कि जब मौजिज़ा भी आएगा तो भी ये ईमान न लाएँगे
2 Azizul-Haqq Al-Umary
और उन मुश्रिकों ने बलपूर्वक शपथें लीं कि यदि हमारे पास कोई आयत (निशानी) आ जाये, तो हम उसपर अवश्य ईमान लायेंगे। आप कह दें: आयतें (निशानियाँ) तो अल्लाह ही के पास हैं और (हे ईमान वालो!) तुम्हें क्या पता कि वह निशानियाँ जब आ जायेँगी, तो वे ईमान[1] नहीं लायेंगे।