قُلْ لِّمَنْ مَّا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ قُلْ لِّلّٰهِ ۗ كَتَبَ عَلٰى نَفْسِهِ الرَّحْمَةَ ۗ لَيَجْمَعَنَّكُمْ اِلٰى يَوْمِ الْقِيٰمَةِ لَا رَيْبَ فِيْهِۗ اَلَّذِيْنَ خَسِرُوْٓا اَنْفُسَهُمْ فَهُمْ لَا يُؤْمِنُوْنَ ( الأنعام: ١٢ )
Qul liman ma fee alssamawati waalardi qul lillahi kataba 'ala nafsihi alrrahmata layajma'annakum ila yawmi alqiyamati la rayba feehi allatheena khasiroo anfusahum fahum la yuminoona (al-ʾAnʿām 6:12)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहो, 'आकाशों और धरती में जो कुछ है किसका है?' कह दो, 'अल्लाह ही का है।' उसने दयालुता को अपने ऊपर अनिवार्य कर दिया है। निश्चय ही वह तुम्हें क़ियामत के दिन इकट्ठा करेगा, इसमें कोई सन्देह नहीं है। जिन लोगों ने अपने-आपको घाटे में डाला है, वही है जो ईमान नहीं लाते
English Sahih:
Say, "To whom belongs whatever is in the heavens and earth?" Say, "To Allah." He has decreed upon Himself mercy. He will surely assemble you for the Day of Resurrection, about which there is no doubt. Those who will lose themselves [that Day] do not believe. ([6] Al-An'am : 12)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल उनसे) पूछो तो कि (भला) जो कुछ आसमान और ज़मीन में है किसका है (वह जवाब देगें) तुम ख़ुद कह दो कि ख़ास ख़ुदा का है उसने अपनी ज़ात पर मेहरबानी लाज़िम कर ली है वह तुम सब के सब को क़यामत के दिन जिसके आने मे कुछ शक़ नहीं ज़रुर जमा करेगा (मगर) जिन लोगों ने अपना आप नुक़सान किया वह तो (क़यामत पर) ईमान न लाएंगें