وَمَا مِنْ دَاۤبَّةٍ فِى الْاَرْضِ وَلَا طٰۤىِٕرٍ يَّطِيْرُ بِجَنَاحَيْهِ اِلَّآ اُمَمٌ اَمْثَالُكُمْ ۗمَا فَرَّطْنَا فِى الْكِتٰبِ مِنْ شَيْءٍ ثُمَّ اِلٰى رَبِّهِمْ يُحْشَرُوْنَ ( الأنعام: ٣٨ )
Wama min dabbatin fee alardi wala tairin yateeru bijanahayhi illa omamun amthalukum ma farratna fee alkitabi min shayin thumma ila rabbihim yuhsharoona (al-ʾAnʿām 6:38)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
धरती में चलने-फिरनेवाला कोई भी प्राणी हो या अपने दो परो से उड़नवाला कोई पक्षी, ये सब तुम्हारी ही तरह के गिरोह है। हमने किताब में कोई भी चीज़ नहीं छोड़ी है। फिर वे अपने रब की ओर इकट्ठे किए जाएँगे
English Sahih:
And there is no creature on [or within] the earth or bird that flies with its wings except [that they are] communities like you. We have not neglected in the Register a thing. Then unto their Lord they will be gathered. ([6] Al-An'am : 38)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ज़मीन में जो चलने फिरने वाला (हैवान) या अपने दोनों परों से उड़ने वाला परिन्दा है उनकी भी तुम्हारी तरह जमाअतें हैं और सब के सब लौह महफूज़ में मौजूद (हैं) हमने किताब (क़ुरान) में कोई बात नहीं छोड़ी है फिर सब के सब (चरिन्द हों या परिन्द) अपने परवरदिगार के हुज़ूर में लाए जायेंगे।