Skip to main content

فَلَمَّا نَسُوْا مَا ذُكِّرُوْا بِهٖ فَتَحْنَا عَلَيْهِمْ اَبْوَابَ كُلِّ شَيْءٍۗ حَتّٰٓى اِذَا فَرِحُوْا بِمَآ اُوْتُوْٓا اَخَذْنٰهُمْ بَغْتَةً فَاِذَا هُمْ مُّبْلِسُوْنَ  ( الأنعام: ٤٤ )

So when
فَلَمَّا
फिर जब
they forgot
نَسُوا۟
वो भूल गए
what
مَا
जो कुछ
they were reminded
ذُكِّرُوا۟
वो नसीहत किए गए थे
of [it]
بِهِۦ
जिसकी
We opened
فَتَحْنَا
खोल दिए हमने
on them
عَلَيْهِمْ
उन पर
gates
أَبْوَٰبَ
दरवाज़े
(of) every
كُلِّ
हर
thing
شَىْءٍ
चीज़ के
until
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
when
إِذَا
जब
they rejoiced
فَرِحُوا۟
वो ख़ुश हो गए
in what
بِمَآ
उस पर जो
they were given
أُوتُوٓا۟
वो दिए गए थे
We seized them
أَخَذْنَٰهُم
पकड़ लिया हमने उन्हें
suddenly
بَغْتَةً
अचानक
and then
فَإِذَا
तो उस वक़्त
they
هُم
वो
(were) dumbfounded
مُّبْلِسُونَ
मायूस होने वाले थे

Falamma nasoo ma thukkiroo bihi fatahna 'alayhim abwaba kulli shayin hatta itha farihoo bima ootoo akhathnahum baghtatan faitha hum mublisoona (al-ʾAnʿām 6:44)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर जब उसे उन्होंने भुला दिया जो उन्हें याद दिलाई गई थी, तो हमने उनपर हर चीज़ के दरवाज़े खोल दिए; यहाँ तक कि जो कुछ उन्हें मिला था, जब वे उसमें मग्न हो गए तो अचानक हमने उन्हें पकड़ लिया, तो क्या देखते है कि वे बिल्कुल निराश होकर रह गए

English Sahih:

So when they forgot that by which they had been reminded, We opened to them the doors of every [good] thing until, when they rejoiced in that which they were given, We seized them suddenly, and they were [then] in despair. ([6] Al-An'am : 44)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

फिर जिसकी उन्हें नसीहत की गयी थी जब उसको भूल गए तो हमने उन पर (ढील देने के लिए) हर तरह की (दुनियावी) नेअमतों के दरवाज़े खोल दिए यहाँ तक कि जो नेअमतें उनको दी गयी थी जब उनको पाकर ख़ुश हुए तो हमने उन्हें नागाहाँ (एक दम) ले डाला तो उस वक्त वह नाउम्मीद होकर रह गए