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وَمَا نُرْسِلُ الْمُرْسَلِيْنَ اِلَّا مُبَشِّرِيْنَ وَمُنْذِرِيْنَۚ فَمَنْ اٰمَنَ وَاَصْلَحَ فَلَا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُوْنَ   ( الأنعام: ٤٨ )

And not
وَمَا
और नहीं
We send
نُرْسِلُ
हम भेजते
the Messengers
ٱلْمُرْسَلِينَ
रसूलों को
except
إِلَّا
मगर
(as) bearer of glad tidings
مُبَشِّرِينَ
ख़ुशख़बरी देने वाले
and (as) warners
وَمُنذِرِينَۖ
और डराने वाले (बनाकर)
So whoever
فَمَنْ
पस जो कोई
believed
ءَامَنَ
ईमान लाया
and reformed
وَأَصْلَحَ
और उसने इस्लाह कर ली
then no
فَلَا
तो ना
fear
خَوْفٌ
कोई ख़ौफ़ होगा
upon them
عَلَيْهِمْ
उन पर
and not
وَلَا
और ना
they
هُمْ
वो
will grieve
يَحْزَنُونَ
वो ग़मगीन होंगे

Wama nursilu almursaleena illa mubashshireena wamunthireena faman amana waaslaha fala khawfun 'alayhim wala hum yahzanoona (al-ʾAnʿām 6:48)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

हम रसूलों को केवल शुभ-सूचना देनेवाले और सचेतकर्ता बनाकर भेजते रहे है। फिर जो ईमान लाए और सुधर जाए, तो ऐसे लोगों के लिए न कोई भय है और न वे कभी दुखी होंगे

English Sahih:

And We send not the messengers except as bringers of good tidings and warners. So whoever believes and reforms – there will be no fear concerning them, nor will they grieve. ([6] Al-An'am : 48)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और हम तो रसूलों को सिर्फ इस ग़रज़ से भेजते हैं कि (नेको को जन्नत की) खुशख़बरी दें और (बदो को अज़ाब जहन्नुम से) डराएं फिर जिसने ईमान कुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए तो ऐसे लोगों पर (क़यामत में) न कोई ख़ौफ होगा और न वह ग़मग़ीन होगें