وَهُوَ الَّذِيْٓ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءًۚ فَاَخْرَجْنَا بِهٖ نَبَاتَ كُلِّ شَيْءٍ فَاَخْرَجْنَا مِنْهُ خَضِرًا نُّخْرِجُ مِنْهُ حَبًّا مُّتَرَاكِبًاۚ وَمِنَ النَّخْلِ مِنْ طَلْعِهَا قِنْوَانٌ دَانِيَةٌ وَّجَنّٰتٍ مِّنْ اَعْنَابٍ وَّالزَّيْتُوْنَ وَالرُّمَّانَ مُشْتَبِهًا وَّغَيْرَ مُتَشَابِهٍۗ اُنْظُرُوْٓا اِلٰى ثَمَرِهٖٓ اِذَٓا اَثْمَرَ وَيَنْعِهٖ ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكُمْ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ( الأنعام: ٩٩ )
Wahuwa allathee anzala mina alssamai maan faakhrajna bihi nabata kulli shayin faakhrajna minhu khadiran nukhriju minhu habban mutarakiban wamina alnnakhli min tal'iha qinwanun daniyatun wajannatin min a'nabin waalzzaytoona waalrrummana mushtabihan waghayra mutashabihin onthuroo ila thamarihi itha athmara wayan'ihi inna fee thalikum laayatin liqawmin yuminoona (al-ʾAnʿām 6:99)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और वही है जिसने आकाश से पानी बरसाया, फिर हमने उसके द्वारा हर प्रकार की वनस्पति उगाई; फिर उससे हमने हरी-भरी पत्तियाँ निकाली और तने विकसित किए, जिससे हम तले-ऊपर चढे हुए दान निकालते है - और खजूर के गाभे से झुके पड़ते गुच्छे भी - और अंगूर, ज़ैतून और अनार के बाग़ लगाए, जो एक-दूसरे से भिन्न भी होते है। उसके फल को देखा, जब वह फलता है और उसके पकने को भी देखो! निस्संदेह ईमान लानेवाले लोगों को लिए इनमें बड़ी निशानियाँ है
English Sahih:
And it is He who sends down rain from the sky, and We produce thereby the growth of all things. We produce from it greenery from which We produce grains arranged in layers. And from the palm trees – of its emerging fruit are clusters hanging low. And [We produce] gardens of grapevines and olives and pomegranates, similar yet varied. Look at [each of] its fruit when it yields and [at] its ripening. Indeed in that are signs for a people who believe. ([6] Al-An'am : 99)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और वह वही (क़ादिर तवाना है) जिसने आसमान से पानी बरसाया फिर हम ही ने उसके ज़रिए से हर चीज़ के कोए निकालें फिर हम ही ने उससे हरी भरी टहनियाँ निकालीं कि उससे हम बाहम गुत्थे दाने निकालते हैं और छुहारे के बोर (मुन्जिर) से लटके हुए गुच्छे पैदा किए और अंगूर और ज़ैतून और अनार के बाग़ात जो बाहम सूरत में एक दूसरे से मिलते जुलते और (मजे में) जुदा जुदा जब ये पिघले और पक्के तो उसके फल की तरफ ग़ौर तो करो बेशक अमन में ईमानदार लोगों के लिए बहुत सी (ख़ुदा की) निशानियाँ हैं