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وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَآ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ خٰلِدِيْنَ فِيْهَاۗ وَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ࣖ   ( التغابن: ١٠ )

But those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
disbelieved
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
and denied
وَكَذَّبُوا۟
और झुठलाया
[in] Our Verses
بِـَٔايَٰتِنَآ
हमारी आयात को
those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
(are the) companions
أَصْحَٰبُ
साथी
(of) the Fire
ٱلنَّارِ
आग के
abiding forever
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
therein
فِيهَاۖ
उसमें
And wretched is
وَبِئْسَ
और कितनी बुरी है
the destination
ٱلْمَصِيرُ
लौटने की जगह

Waallatheena kafaroo wakaththaboo biayatina olaika ashabu alnnari khalideena feeha wabisa almaseeru (at-Taghābun 64:10)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वही आगवाले है जिसमें वे सदैव रहेंगे। अन्ततः लौटकर पहुँचने की वह बहुत ही बुरी जगह है

English Sahih:

But the ones who disbelieved and denied Our verses – those are the companions of the Fire, abiding eternally therein; and wretched is the destination. ([64] At-Taghabun : 10)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जो लोग काफ़िर हैं और हमारी आयतों को झुठलाते रहे यही लोग जहन्नुमी हैं कि हमेशा उसी में रहेंगे और वह क्या बुरा ठिकाना है