وَسْـَٔلْهُمْ عَنِ الْقَرْيَةِ الَّتِيْ كَانَتْ حَاضِرَةَ الْبَحْرِۘ اِذْ يَعْدُوْنَ فِى السَّبْتِ اِذْ تَأْتِيْهِمْ حِيْتَانُهُمْ يَوْمَ سَبْتِهِمْ شُرَّعًا وَّيَوْمَ لَا يَسْبِتُوْنَۙ لَا تَأْتِيْهِمْ ۛ كَذٰلِكَ ۛنَبْلُوْهُمْ بِمَا كَانُوْا يَفْسُقُوْنَ ( الأعراف: ١٦٣ )
Waisalhum 'ani alqaryati allatee kanat hadirata albahri ith ya'doona fee alssabti ith tateehim heetanuhum yawma sabtihim shurra'an wayawma la yasbitoona la tateehim kathalika nabloohum bima kanoo yafsuqoona (al-ʾAʿrāf 7:163)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उनसे उस बस्ती के विषय में पूछो जो सागर-तट पर थी। जब वे सब्त के मामले में सीमा का उल्लंघन करते थे, जब उनके सब्त के दिन उनकी मछलियाँ खुले तौर पर पानी के ऊपर आ जाती थी और जो दिन उनके सब्त का न होता तो वे उनके पास न आती थी। इस प्रकार उनके अवज्ञाकारी होने के कारण हम उनको परीक्षा में डाल रहे थे
English Sahih:
And ask them about the town that was by the sea – when they transgressed in [the matter of] the sabbath – when their fish came to them openly on their sabbath day, and the day they had no sabbath they did not come to them. Thus did We give them trial because they were defiantly disobedient. ([7] Al-A'raf : 163)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ऐ रसूल) उनसे ज़रा उस गाँव का हाल तो पूछो जो दरिया के किनारे वाक़ऐ था जब ये लोग उनके बुज़ुर्ग शुम्बे (सनीचर) के दिन ज्यादती करने लगे कि जब उनका शुम्बे (वाला इबादत का) दिन होता तब तो मछलियाँ सिमट कर उनके सामने पानी पर उभर के आ जाती और जब उनका शुम्बा (वाला इबादत का) दिन न होता तो मछलियॉ उनके पास ही न फटकतीं और चॅूकि ये लोग बदचलन थे उस दरजे से हम भी उनकी यूं ही आज़माइश किया करते थे