وَلَقَدْ ذَرَأْنَا لِجَهَنَّمَ كَثِيْرًا مِّنَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِۖ لَهُمْ قُلُوْبٌ لَّا يَفْقَهُوْنَ بِهَاۖ وَلَهُمْ اَعْيُنٌ لَّا يُبْصِرُوْنَ بِهَاۖ وَلَهُمْ اٰذَانٌ لَّا يَسْمَعُوْنَ بِهَاۗ اُولٰۤىِٕكَ كَالْاَنْعَامِ بَلْ هُمْ اَضَلُّ ۗ اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْغٰفِلُوْنَ ( الأعراف: ١٧٩ )
Walaqad tharana lijahannama katheeran mina aljinni waalinsi lahum quloobun la yafqahoona biha walahum a'yunun la yubsiroona biha walahum athanun la yasma'oona biha olaika kaalan'ami bal hum adallu olaika humu alghafiloona (al-ʾAʿrāf 7:179)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
निश्चय ही हमने बहुत-से जिन्नों और मनुष्यों को जहन्नम ही के लिए फैला रखा है। उनके पास दिल है जिनसे वे समझते नहीं, उनके पास आँखें है जिनसे वे देखते नहीं; उनके पास कान है जिनसे वे सुनते नहीं। वे पशुओं की तरह है, बल्कि वे उनसे भी अधिक पथभ्रष्ट है। वही लोग है जो ग़फ़लत में पड़े हुए है
English Sahih:
And We have certainly created for Hell many of the jinn and mankind. They have hearts with which they do not understand, they have eyes with which they do not see, and they have ears with which they do not hear. Those are like livestock; rather, they are more astray. It is they who are the heedless. ([7] Al-A'raf : 179)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और गोया हमने (ख़ुदा) बहुतेरे जिन्नात और आदमियों को जहन्नुम के वास्ते पैदा किया और उनके दिल तो हैं (मगर कसदन) उन से देखते ही नहीं और उनके कान भी है (मगर) उनसे सुनने का काम ही नहीं लेते (खुलासा) ये लोग गोया जानवर हैं बल्कि उनसे भी कहीं गए गुज़रे हुए यही लोग (अमूर हक़) से बिल्कुल बेख़बर हैं