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وَاِنْ تَدْعُوْهُمْ اِلَى الْهُدٰى لَا يَتَّبِعُوْكُمْۗ سَوَۤاءٌ عَلَيْكُمْ اَدَعَوْتُمُوْهُمْ اَمْ اَنْتُمْ صَامِتُوْنَ  ( الأعراف: ١٩٣ )

And if
وَإِن
और अगर
you call them
تَدْعُوهُمْ
तुम बुलाओ उन्हें
to
إِلَى
तरफ़ हिदायत के
the guidance
ٱلْهُدَىٰ
तरफ़ हिदायत के
not
لَا
नहीं वो पैरवी करेंगे तुम्हारी
will they follow you
يَتَّبِعُوكُمْۚ
नहीं वो पैरवी करेंगे तुम्हारी
(It is) same
سَوَآءٌ
यकसाँ है
for you
عَلَيْكُمْ
तुम पर
whether you call them
أَدَعَوْتُمُوهُمْ
ख़्वाह बुलाओ तुम उन्हें
or
أَمْ
या
you
أَنتُمْ
तुम
remain silent
صَٰمِتُونَ
ख़ामोश रहो

Wain tad'oohum ila alhuda la yattabi'ookum sawaon 'alaykum ada'awtumoohum am antum samitoona (al-ʾAʿrāf 7:193)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यदि तुम उन्हें सीधे मार्ग की ओर बुलाओ तो वे तुम्हारे पीछे न आएँगे। तुम्हारे लिए बराबर है - उन्हें पुकारो या तुम चुप रहो

English Sahih:

And if you [believers] invite them to guidance, they will not follow you. It is all the same for you whether you invite them or you are silent. ([7] Al-A'raf : 193)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अगर तुम उन्हें हिदायत की तरफ बुलाओंगे भी तो ये तुम्हारी पैरवी नहीं करने के तुम्हारे वास्ते बराबर है ख्वाह (चाहे) तुम उनको बुलाओ या तुम चुपचाप बैठे रहो