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وَالْبَلَدُ الطَّيِّبُ يَخْرُجُ نَبَاتُهٗ بِاِذْنِ رَبِّهٖۚ وَالَّذِيْ خَبُثَ لَا يَخْرُجُ اِلَّا نَكِدًاۗ كَذٰلِكَ نُصَرِّفُ الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يَّشْكُرُوْنَ ࣖ   ( الأعراف: ٥٨ )

And the land -
وَٱلْبَلَدُ
और ज़मीन
[the] pure
ٱلطَّيِّبُ
पाकीज़ा
comes forth
يَخْرُجُ
निकलती है
its vegetation
نَبَاتُهُۥ
नबातात उसकी
by (the) permission
بِإِذْنِ
इज़्न से
(of) its Lord
رَبِّهِۦۖ
उसके रब के
but which
وَٱلَّذِى
और वो जो
is bad -
خَبُثَ
ख़राब हो गई
(does) not
لَا
नहीं निकलती (उससे)
come forth
يَخْرُجُ
नहीं निकलती (उससे)
except
إِلَّا
मगर
(with) difficulty
نَكِدًاۚ
नाक़िस
Thus
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
We explain
نُصَرِّفُ
हम फेर-फेर कर लाते है
the Signs
ٱلْءَايَٰتِ
निशानियाँ
for a people
لِقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
who are grateful
يَشْكُرُونَ
जो शुक्र करते हैं

Waalbaladu alttayyibu yakhruju nabatuhu biithni rabbihi waallathee khabutha la yakhruju illa nakidan kathalika nusarrifu alayati liqawmin yashkuroona (al-ʾAʿrāf 7:58)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और अच्छी भूमि के पेड़-पौधे उसके रब के आदेश से निकलते है और जो भूमि ख़राब हो गई है तो उससे निकम्मी पैदावार के अतिरिक्त कुछ नहीं निकलता। इसी प्रकार हम निशानियों को उन लोगों के लिए तरह-तरह से बयान करते है, जो कृतज्ञता दिखानेवाले है

English Sahih:

And the good land – its vegetation emerges by permission of its Lord; but that which is bad – nothing emerges except sparsely, with difficulty. Thus do We diversify the signs for a people who are grateful. ([7] Al-A'raf : 58)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

हम यूं ही (क़यामत के दिन ज़मीन से) मुर्दों को निकालेंगें ताकि तुम लोग नसीहत व इबरत हासिल करो और उम्दा ज़मीन उसके परवरदिगार के हुक्म से उस सब्ज़ा (अच्छा ही) है और जो ज़मीन बड़ी है उसकी पैदावार ख़राब ही होती है