وَّاَنَّا لَمَّا سَمِعْنَا الْهُدٰىٓ اٰمَنَّا بِهٖۗ فَمَنْ يُّؤْمِنْۢ بِرَبِّهٖ فَلَا يَخَافُ بَخْسًا وَّلَا رَهَقًاۖ ( الجن: ١٣ )
And that
وَأَنَّا
और बेशक हमने
when
لَمَّا
जब
we heard
سَمِعْنَا
सुना हमने
the Guidance
ٱلْهُدَىٰٓ
हिदायत को
we believed
ءَامَنَّا
ईमान ले आए हम
in it
بِهِۦۖ
उस पर
And whoever
فَمَن
पस जो कोई
believes
يُؤْمِنۢ
ईमान लाएगा
in his Lord
بِرَبِّهِۦ
अपने रब पर
then not
فَلَا
तो ना
he will fear
يَخَافُ
वो डरेगा
any loss
بَخْسًا
किसी कमी से
and not
وَلَا
और ना
any burden
رَهَقًا
किसी ज़्यादती से
Waanna lamma sami'na alhuda amanna bihi faman yumin birabbihi fala yakhafu bakhsan wala rahaqan (al-Jinn 72:13)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'और यह कि जब हमने मार्गदर्शन की बात सुनी तो उसपर ईमान ले आए। अब तो कोई अपने रब पर ईमान लाएगा, उसे न तो किसी हक़ के मारे जाने का भय होगा और न किसी ज़ुल्म-ज़्यादती का
English Sahih:
And when we heard the guidance [i.e., the Quran], we believed in it. And whoever believes in his Lord will not fear deprivation or burden. ([72] Al-Jinn : 13)