وَّاَنَّهٗ كَانَ رِجَالٌ مِّنَ الْاِنْسِ يَعُوْذُوْنَ بِرِجَالٍ مِّنَ الْجِنِّ فَزَادُوْهُمْ رَهَقًاۖ ( الجن: ٦ )
And that
وَأَنَّهُۥ
और बेशक वो
(there) were
كَانَ
थे
men
رِجَالٌ
कुछ लोग
among
مِّنَ
इन्सानों में से
mankind
ٱلْإِنسِ
इन्सानों में से
who sought refuge
يَعُوذُونَ
जो पनाह लेते थे
in (the) men
بِرِجَالٍ
कुछ लोगों की
from
مِّنَ
जिन्नों में से
the jinn
ٱلْجِنِّ
जिन्नों में से
so they increased them
فَزَادُوهُمْ
तो उन्होंने ज़्यादा कर दिया उन्हें
(in) burden
رَهَقًا
सरकशी में
Waannahu kana rijalun mina alinsi ya'oothoona birijalin mina aljinni fazadoohum rahaqan (al-Jinn 72:6)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'और यह कि मनुष्यों में से कितने ही पुरुष ऐसे थे, जो जिन्नों में से कितने ही पुरूषों की शरण माँगा करते थे। इसप्रकार उन्होंने उन्हें (जिन्नों को) और चढ़ा दिया
English Sahih:
And there were men from mankind who sought refuge in men from the jinn, so they [only] increased them in burden [i.e., sin]. ([72] Al-Jinn : 6)