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وَاتَّقُوْا فِتْنَةً لَّا تُصِيْبَنَّ الَّذِيْنَ ظَلَمُوْا مِنْكُمْ خَاۤصَّةً ۚوَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعِقَابِ  ( الأنفال: ٢٥ )

And fear
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
a trial
فِتْنَةً
फ़ितने से (उस)
not
لَّا
जो हरगिज़ ना पहुँचेगा
which will afflict
تُصِيبَنَّ
जो हरगिज़ ना पहुँचेगा
those who
ٱلَّذِينَ
उन्हें जिन्होंने
do wrong
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया
among you
مِنكُمْ
तुम में से
exclusively
خَآصَّةًۖ
ख़ासकर
And know
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
that
أَنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
(is) severe
شَدِيدُ
सख़्त
(in) the penalty
ٱلْعِقَابِ
सज़ा वाला है

Waittaqoo fitnatan la tuseebanna allatheena thalamoo minkum khassatan wai'lamoo anna Allaha shadeedu al'iqabi (al-ʾAnfāl 8:25)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

बचो उस फ़ितने से जो अपनी लपेट में विशेष रूप से केवल अत्याचारियों को ही नहीं लेगा, जान लो अल्लाह कठोर दंड देनेवाला है

English Sahih:

And fear a trial which will not strike those who have wronged among you exclusively, and know that Allah is severe in penalty. ([8] Al-Anfal : 25)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और उस फितने से डरते रहो जो ख़ास उन्हीं लोगों पर नही पड़ेगा जिन्होने तुम में से ज़ुल्म किया (बल्कि तुम सबके सब उसमें पड़ जाओगे) और यक़ीन मानों कि ख़ुदा बड़ा सख्त अज़ाब करने वाला है