وَمَا لَهُمْ اَلَّا يُعَذِّبَهُمُ اللّٰهُ وَهُمْ يَصُدُّوْنَ عَنِ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ وَمَا كَانُوْٓا اَوْلِيَاۤءَهٗۗ اِنْ اَوْلِيَاۤؤُهٗٓ اِلَّا الْمُتَّقُوْنَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ( الأنفال: ٣٤ )
Wama lahum alla yu'aththibahumu Allahu wahum yasuddoona 'ani almasjidi alharami wama kanoo awliyaahu in awliyaohu illa almuttaqoona walakinna aktharahum la ya'lamoona (al-ʾAnfāl 8:34)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
किन्तु अब क्या है उनके पास कि अल्लाह उन्हें यातना न दे, जबकि वे 'मस्जिदे हराम' (काबा) से रोकते है, हालाँकि वे उसके कोई व्यवस्थापक नहीं? उसके व्यवस्थापक तो केवल डर रखनेवाले ही है, परन्तु उनके अधिकतर लोग जानते नहीं
English Sahih:
But why should Allah not punish them while they obstruct [people] from al-Masjid al-Haram and they were not [fit to be] its guardians? Its [true] guardians are not but the righteous, but most of them do not know. ([8] Al-Anfal : 34)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जब ये लोग लोगों को मस्जिदुल हराम (ख़ान ए काबा की इबादत) से रोकते है तो फिर उनके लिए कौन सी बात बाक़ी है कि उन पर अज़ाब न नाज़िल करे और ये लोग तो ख़ानाए काबा के मुतवल्ली भी नहीं (फिर क्यों रोकते है) इसके मुतवल्ली तो सिर्फ परहेज़गार लोग हैं मगर इन काफ़िरों में से बहुतेरे नहीं जानते