وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مِنْۢ بَعْدُ وَهَاجَرُوْا وَجَاهَدُوْا مَعَكُمْ فَاُولٰۤىِٕكَ مِنْكُمْۗ وَاُولُوا الْاَرْحَامِ بَعْضُهُمْ اَوْلٰى بِبَعْضٍ فِيْ كِتٰبِ اللّٰهِ ۗاِنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ࣖ ( الأنفال: ٧٥ )
Waallatheena amanoo min ba'du wahajaroo wajahadoo ma'akum faolaika minkum waoloo alarhami ba'duhum awla biba'din fee kitabi Allahi inna Allaha bikulli shayin 'aleemun (al-ʾAnfāl 8:75)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जो लोग बाद में ईमान लाए और उन्होंने हिजरत की और तुम्हारे साथ मिलकर जिहाद किया तो ऐसे लोग भी तुम में ही से हैं। किन्तु अल्लाह की किताब मे ख़ून के रिश्तेदार एक-दूसरे के ज़्यादा हक़दार है। निश्चय ही अल्लाह को हर चीज़ का ज्ञान है
English Sahih:
And those who believed after [the initial emigration] and emigrated and fought with you – they are of you. But those of [blood] relationship are more entitled [to inheritance] in the decree of Allah. Indeed, Allah is Knowing of all things. ([8] Al-Anfal : 75)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जिन लोगों ने (सुलह हुदैबिया के) बाद ईमान क़ुबूल किया और हिजरत की और तुम्हारे साथ मिलकर जिहाद किया वह लोग भी तुम्हीं में से हैं और साहबाने क़राबत ख़ुदा की किताब में बाहम एक दूसरे के (बनिस्बत औरों के) ज्यादा हक़दार हैं बेशक ख़ुदा हर चीज़ से ख़ूब वाक़िफ हैं