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وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَهَاجَرُوْا وَجَاهَدُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَالَّذِيْنَ اٰوَوْا وَّنَصَرُوْٓا اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُؤْمِنُوْنَ حَقًّاۗ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّرِزْقٌ كَرِيْمٌ   ( الأنفال: ٧٤ )

And those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
believed
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
and emigrated
وَهَاجَرُوا۟
और उन्होंने हिजरत की
and strove hard
وَجَٰهَدُوا۟
और उन्होंने जिहाद किया
in
فِى
अल्लाह के रास्ते में
(the) way
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
and those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
gave shelter
ءَاوَوا۟
पनाह दी
and helped
وَّنَصَرُوٓا۟
और मदद की
those -
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
they (are)
هُمُ
वो
the believers
ٱلْمُؤْمِنُونَ
जो मोमिन हैं
(in) truth
حَقًّاۚ
सच्चे
For them
لَّهُم
उनके लिए
(is) forgiveness
مَّغْفِرَةٌ
बख़्शिश है
and a provision
وَرِزْقٌ
और रिज़्क़
noble
كَرِيمٌ
इज़्ज़त वाला

Waallatheena amanoo wahajaroo wajahadoo fee sabeeli Allahi waallatheena awaw wanasaroo olaika humu almuminoona haqqan lahum maghfiratun warizqun kareemun (al-ʾAnfāl 8:74)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने हिजरत की और अल्लाह के मार्ग में जिहाद किया और जिन लोगों ने उन्हें शरण दी और सहायता की वही सच्चे मोमिन हैं। उनके क्षमा और सम्मानित - उत्तम आजीविका है

English Sahih:

But those who have believed and emigrated and fought in the cause of Allah and those who gave shelter and aided – it is they who are the believers, truly. For them is forgiveness and noble provision. ([8] Al-Anfal : 74)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और हिजरत की और ख़ुदा की राह में लड़े भिड़े और जिन लोगों ने (ऐसे नाज़ुक वक्त में मुहाजिरीन को जगह ही और उनकी हर तरह ख़बरगीरी (मदद) की यही लोग सच्चे ईमानदार हैं उन्हीं के वास्ते मग़फिरत और इज्ज़त व आबरु वाली रोज़ी है