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يٰٓاَيُّهَا الْاِنْسَانُ مَا غَرَّكَ بِرَبِّكَ الْكَرِيْمِۙ  ( الإنفطار: ٦ )

O
يَٰٓأَيُّهَا
man!
ٱلْإِنسَٰنُ
इन्सान
What
مَا
किस चीज़ ने
has deceived you
غَرَّكَ
धोके में डाला तुझे
concerning your Lord
بِرَبِّكَ
तेरे रब के बारे में
the Most Noble
ٱلْكَرِيمِ
जो बहुत इज़्ज़त वाला है

Ya ayyuha alinsanu ma gharraka birabbika alkareemi (al-ʾInfiṭār 82:6)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ऐ मनुष्य! किस चीज़ ने तुझे अपने उदार प्रभु के विषय में धोखे में डाल रखा हैं?

English Sahih:

O mankind, what has deceived you concerning your Lord, the Generous, ([82] Al-Infitar : 6)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ऐ इन्सान तुम्हें अपने परवरदिगार के बारे में किस चीज़ ने धोका दिया