فَاِنْ تَابُوْا وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ فَاِخْوَانُكُمْ فِى الدِّيْنِ ۗوَنُفَصِّلُ الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يَّعْلَمُوْنَ ( التوبة: ١١ )
But if
فَإِن
फिर अगर
they repent
تَابُوا۟
वो तौबा कर लें
and establish
وَأَقَامُوا۟
और वो क़ायम करें
the prayer
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
and give
وَءَاتَوُا۟
और वो अदा करें
the zakah
ٱلزَّكَوٰةَ
ज़कात
then (they are) your brothers
فَإِخْوَٰنُكُمْ
तो भाई हैं तुम्हारे
in
فِى
दीन में
[the] religion
ٱلدِّينِۗ
दीन में
And We explain in detail
وَنُفَصِّلُ
और हम खोल-खोल कर बयान करते हैं
the Verses
ٱلْءَايَٰتِ
आयात को
for a people
لِقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
(who) know
يَعْلَمُونَ
जो इल्म रखते हैं
Fain taboo waaqamoo alssalata waatawoo alzzakata faikhwanukum fee alddeeni wanufassilu alayati liqawmin ya'lamoona (at-Tawbah 9:11)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अतः यदि वे तौबा कर लें और नमाज़ क़ायम करें और ज़कात दें तो वे धर्म के भाई हैं। और हम उन लोगों के लिए आयतें खोल-खोलकर बयान करते हैं, जो जानना चाहें
English Sahih:
But if they repent, establish prayer, and give Zakah, then they are your brothers in religion; and We detail the verses for a people who know. ([9] At-Tawbah : 11)