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اَوَلَا يَرَوْنَ اَنَّهُمْ يُفْتَنُوْنَ فِيْ كُلِّ عَامٍ مَّرَّةً اَوْ مَرَّتَيْنِ ثُمَّ لَا يَتُوْبُوْنَ وَلَا هُمْ يَذَّكَّرُوْنَ   ( التوبة: ١٢٦ )

Do not
أَوَلَا
क्या भला नहीं
they see
يَرَوْنَ
वो देखते
that they
أَنَّهُمْ
कि बेशक वो
are tried
يُفْتَنُونَ
आज़माए जाते हैं
[in]
فِى
हर साल में
every
كُلِّ
हर साल में
year
عَامٍ
हर साल में
once
مَّرَّةً
एक बार
or
أَوْ
या
twice?
مَرَّتَيْنِ
दो बार
Yet
ثُمَّ
फिर
not
لَا
नहीं वो तौबा करते
they turn (in repentance)
يَتُوبُونَ
नहीं वो तौबा करते
and not
وَلَا
और ना
they
هُمْ
वो
pay heed
يَذَّكَّرُونَ
वो नसीहत पकड़ते हैं

Awala yarawna annahum yuftanoona fee kulli 'amin marratan aw marratayni thumma la yatooboona wala hum yaththakkaroona (at-Tawbah 9:126)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

क्या वे देखते नहीं कि प्रत्येक वर्ष वॆ एक या दो बार आज़माईश में डाले जाते है ? फिर भी न तो वे तौबा करते हैं और न चेतते।

English Sahih:

Do they not see that they are tried every year once or twice but then they do not repent nor do they remember? ([9] At-Tawbah : 126)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

क्या वह लोग (इतना भी) नहीं देखते कि हर साल एक मरतबा या दो मरतबा बला में मुबितला किए जाते हैं फिर भी न तो ये लोग तौबा ही करते हैं और न नसीहत ही मानते हैं