उनके ख़र्च के स्वीकृत होने में इसके अतिरिक्त और कोई चीज़ बाधक नहीं कि उन्होंने अल्लाह औऱ उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया। नमाज़ को आते है तो बस हारे जी आते है और ख़र्च करते है, तो अनिच्छापूर्वक ही
English Sahih:
And what prevents their expenditures from being accepted from them but that they have disbelieved in Allah and in His Messenger and that they come not to prayer except while they are lazy and that they do not spend except while they are unwilling. ([9] At-Tawbah : 54)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और उनकी ख़ैरात के क़ुबूल किए जाने में और कोई वजह मायने नहीं मगर यही कि उन लोगों ने ख़ुदा और उसके रसूल की नाफ़रमानी की और नमाज़ को आते भी हैं तो अलकसाए हुए और ख़ुदा की राह में खर्च करते भी हैं तो बे दिली से
2 Azizul-Haqq Al-Umary
और उनके दानों के स्वीकार न किये जाने का कारण, इसके सिवाय कुछ नहीं है कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया है और वे नमाज़ के लिए आलसी होकर आते हैं तथा दान भी करते हैं, तो अनिच्छा करते हैं।