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قُلْ اَنْفِقُوْا طَوْعًا اَوْ كَرْهًا لَّنْ يُّتَقَبَّلَ مِنْكُمْ ۗاِنَّكُمْ كُنْتُمْ قَوْمًا فٰسِقِيْنَ   ( التوبة: ٥٣ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"Spend
أَنفِقُوا۟
ख़र्च करो
willingly
طَوْعًا
ख़ुशी से
or
أَوْ
या
unwillingly;
كَرْهًا
नाख़ुशी से
never
لَّن
हरगिज़ नहीं
will be accepted
يُتَقَبَّلَ
वो क़ुबूल किया जाएगा
from you
مِنكُمْۖ
तुम से
Indeed you
إِنَّكُمْ
बेशक तुम
[you] are
كُنتُمْ
हो तुम
a people
قَوْمًا
लोग
defiantly disobedient"
فَٰسِقِينَ
नाफ़रमान

Qul anfiqoo taw'an aw karhan lan yutaqabbala minkum innakum kuntum qawman fasiqeena (at-Tawbah 9:53)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कह दो, 'तुम चाहे स्वेच्छापूर्वक ख़र्च करो या अनिच्छापूर्वक, तुमसे कुछ भी स्वीकार न किया जाएगा। निस्संदेह तुम अवज्ञाकारी लोग हो।'

English Sahih:

Say, "Spend willingly or unwillingly; never will it be accepted from you. Indeed, you have been a defiantly disobedient people." ([9] At-Tawbah : 53)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुम लोग ख्वाह ख़ुशी से खर्च करो या मजबूरी से तुम्हारी ख़ैरात तो कभी कुबूल की नहीं जाएगी तुम यक़ीनन बदकार लोग हो