يَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ لَكُمْ لِيُرْضُوْكُمْ وَاللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗٓ اَحَقُّ اَنْ يُّرْضُوْهُ اِنْ كَانُوْا مُؤْمِنِيْنَ ( التوبة: ٦٢ )
They swear
يَحْلِفُونَ
वो क़समें खाते हैं
by Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह की
to you
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
to please you
لِيُرْضُوكُمْ
ताकि वो राज़ी करें तुम्हें
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
and His Messenger
وَرَسُولُهُۥٓ
और उसका रसूल
(have) more right
أَحَقُّ
ज़्यादा हक़दार है
that
أَن
कि
they should please Him
يُرْضُوهُ
वो राज़ी करें उसे
if
إِن
अगर
they are
كَانُوا۟
हैं वो
believers
مُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
Yahlifoona biAllahi lakum liyurdookum waAllahu warasooluhu ahaqqu an yurdoohu in kanoo mumineena (at-Tawbah 9:62)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वे तुम लोगों के सामने अल्लाह की क़समें खाते है, ताकि तुम्हें राज़ी कर लें, हालाँकि यदि वे मोमिन है तो अल्लाह और उसका रसूल इसके ज़्यादा हक़दार है कि उनको राज़ी करें
English Sahih:
They swear by Allah to you [Muslims] to satisfy you. But Allah and His Messenger are more worthy for them to satisfy, if they were to be believers. ([9] At-Tawbah : 62)