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لَمْ يَكُنِ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ وَالْمُشْرِكِيْنَ مُنْفَكِّيْنَ حَتّٰى تَأْتِيَهُمُ الْبَيِّنَةُۙ  ( البينة: ١ )

Not
لَمْ
नहीं
were
يَكُنِ
थे
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
disbelieved
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
from
مِنْ
अहले किताब में से
(the) People
أَهْلِ
अहले किताब में से
of the Book
ٱلْكِتَٰبِ
अहले किताब में से
and the polytheists
وَٱلْمُشْرِكِينَ
और मुशरिकीन में से
to be abandoned
مُنفَكِّينَ
बाज़ आने वाले
until
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
(there) comes to them
تَأْتِيَهُمُ
आ जाए उनके पास
the clear evidence
ٱلْبَيِّنَةُ
वाज़ेह दलील

Lam yakuni allatheena kafaroo min ahli alkitabi waalmushrikeena munfakkeena hatta tatiyahumu albayyinatu (al-Bayyinah 98:1)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

किताबवालों और मुशरिकों (बहुदेववादियों) में से जिन लोगों ने इनकार किया वे कुफ़्र (इनकार) से अलग होनेवाले नहीं जब तक कि उनके पास स्पष्ट प्रमाण न आ जाए;

English Sahih:

Those who disbelieved among the People of the Scripture and the polytheists were not to be parted [from misbelief] until there came to them clear evidence ([98] Al-Bayyinah : 1)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

अहले किताब और मुशरिकों से जो लोग काफिर थे जब तक कि उनके पास खुली हुई दलीलें न पहुँचे वह (अपने कुफ्र से) बाज़ आने वाले न थे