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يَوْمَ يَأْتِ لَا تَكَلَّمُ نَفْسٌ اِلَّا بِاِذْنِهٖۚ فَمِنْهُمْ شَقِيٌّ وَّسَعِيْدٌ  ( هود: ١٠٥ )

(The) Day
يَوْمَ
जिस दिन
(it) comes
يَأْتِ
वो आ जाएगी
not
لَا
ना कलाम करेगा
will speak
تَكَلَّمُ
ना कलाम करेगा
a soul
نَفْسٌ
कोई नफ़्स
except
إِلَّا
मगर
by His leave
بِإِذْنِهِۦۚ
उसके इज़्न के
Then among them
فَمِنْهُمْ
तो उनमें से कोई
(will be the) wretched
شَقِىٌّ
बदबख़्त होगा
and (the) glad
وَسَعِيدٌ
और कोई नेकबख़्त होगा

Yawma yati la takallamu nafsun illa biithnihi faminhum shaqiyyun wasa'eedin (Hūd 11:105)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जिस दिन वह आएगा, तो उसकी अनुमति के बिना कोई व्यक्ति बात तक न कर सकेगा। फिर (मानवों में) कोई तो उनमें अभागा होगा और कोई भाग्यशाली

English Sahih:

The Day it comes no soul will speak except by His permission. And among them will be the wretched and the prosperous. ([11] Hud : 105)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जिस दिन वह आ पहुँचेगा तो बग़ैर हुक्मे ख़ुदा कोई शख़्श बात भी तो नहीं कर सकेगा फिर कुछ लोग उनमे से बदबख्त होगें और कुछ लोग नेक बख्त