وَيٰقَوْمِ لَآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مَالًاۗ اِنْ اَجْرِيَ اِلَّا عَلَى اللّٰهِ وَمَآ اَنَا۠ بِطَارِدِ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْاۗ اِنَّهُمْ مُّلٰقُوْا رَبِّهِمْ وَلٰكِنِّيْٓ اَرٰىكُمْ قَوْمًا تَجْهَلُوْنَ ( هود: ٢٩ )
Waya qawmi la asalukum 'alayhi malan in ajriya illa 'ala Allahi wama ana bitaridi allatheena amanoo innahum mulaqoo rabbihim walakinnee arakum qawman tajhaloona (Hūd 11:29)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं इस काम पर कोई धन नहीं माँगता। मेरा पारिश्रमिक तो बस अल्लाह के ज़िम्मे है। मैं ईमान लानेवालो को दूर करनेवाला भी नहीं। उन्हें तो अपने रब से मिलना ही है, किन्तु मैं तुम्हें देख रहा हूँ कि तुम अज्ञानी लोग हो
English Sahih:
And O my people, I ask not of you for it any wealth. My reward is not but from Allah. And I am not one to drive away those who have believed. Indeed, they will meet their Lord, but I see that you are a people behaving ignorantly. ([11] Hud : 29)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और तुम हो कि उसको नापसन्द किए जाते हो और ऐ मेरी क़ौम मैं तो तुमसे इसके सिले में कुछ माल का तालिब नहीं मेरी मज़दूरी तो सिर्फ ख़ुदा के ज़िम्मे है और मै तो तुम्हारे कहने से उन लोगों को जो ईमान ला चुके हैं निकाल नहीं सकता (क्योंकि) ये लोग भी ज़रुर अपने परवरदिगार के हुज़ूर में हाज़िर होगें मगर मै तो देखता हूँ कि कुछ तुम ही लोग (नाहक़) जिहालत करते हो