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وَيٰقَوْمِ لَا يَجْرِمَنَّكُمْ شِقَاقِيْٓ اَنْ يُّصِيْبَكُمْ مِّثْلُ مَآ اَصَابَ قَوْمَ نُوْحٍ اَوْ قَوْمَ هُوْدٍ اَوْ قَوْمَ صٰلِحٍ ۗوَمَا قَوْمُ لُوْطٍ مِّنْكُمْ بِبَعِيْدٍ  ( هود: ٨٩ )

And O my people!
وَيَٰقَوْمِ
और ऐ मेरी क़ौम
(Let) not cause you to sin
لَا
हरगिज़ ना आमादा करे तुम्हें
(Let) not cause you to sin
يَجْرِمَنَّكُمْ
हरगिज़ ना आमादा करे तुम्हें
my dissension
شِقَاقِىٓ
मुख़ालफ़त /ज़िद मेरी
lest
أَن
कि
befalls you
يُصِيبَكُم
पहुँचे तुम्हें (भी)
similar
مِّثْلُ
मानिन्द उसके
(to) what
مَآ
जो
befell
أَصَابَ
पहुँचा
(the) people of Nuh
قَوْمَ
क़ौमे
(the) people of Nuh
نُوحٍ
नूह को
or
أَوْ
या
(the) people of Hud
قَوْمَ
क़ौमे
(the) people of Hud
هُودٍ
हूद को
or
أَوْ
या
people of Salih
قَوْمَ
क़ौमे
people of Salih
صَٰلِحٍۚ
सालेह को
And not
وَمَا
और नहीं
(are the) people of Lut
قَوْمُ
क़ौमे
(are the) people of Lut
لُوطٍ
लूत
from you
مِّنكُم
तुम से
far off
بِبَعِيدٍ
कुछ दूर

Waya qawmi la yajrimannakum shiqaqee an yuseebakum mithlu ma asaba qawma noohin aw qawma hoodin aw qawma salihin wama qawmu lootin minkum biba'eedin (Hūd 11:89)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मेरे प्रति तुम्हारा विरोध कहीं तुम्हें उस अपराध पर न उभारे कि तुमपर वही बीते जो नूह की क़ौम या हूद की क़ौम या सालेह की क़ौम पर बीत चुका है, और लूत की क़ौम तो तुमसे कुछ दूर भी नहीं।

English Sahih:

And O my people, let not [your] dissension from me cause you to be struck by that similar to what struck the people of Noah or the people of Hud or the people of Saleh. And the people of Lot are not from you far away. ([11] Hud : 89)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ऐ मेरी क़ौमे मेरी ज़िद कही तुम से ऐसा जुर्म न करा दे जैसी मुसीबत क़ौम नूह या हूद या सालेह पर नाज़िल हुई थी वैसी ही मुसीबत तुम पर भी आ पड़े और लूत की क़ौम (का ज़माना) तो (कुछ ऐसा) तुमसे दूर नहीं (उन्हीं के इबरत हासिल करो