وَرَفَعَ اَبَوَيْهِ عَلَى الْعَرْشِ وَخَرُّوْا لَهٗ سُجَّدًاۚ وَقَالَ يٰٓاَبَتِ هٰذَا تَأْوِيْلُ رُءْيَايَ مِنْ قَبْلُ ۖقَدْ جَعَلَهَا رَبِّيْ حَقًّاۗ وَقَدْ اَحْسَنَ بِيْٓ اِذْ اَخْرَجَنِيْ مِنَ السِّجْنِ وَجَاۤءَ بِكُمْ مِّنَ الْبَدْوِ مِنْۢ بَعْدِ اَنْ نَّزَغَ الشَّيْطٰنُ بَيْنِيْ وَبَيْنَ اِخْوَتِيْۗ اِنَّ رَبِّيْ لَطِيْفٌ لِّمَا يَشَاۤءُ ۗاِنَّهٗ هُوَ الْعَلِيْمُ الْحَكِيْمُ ( يوسف: ١٠٠ )
Warafa'a abawayhi 'ala al'arshi wakharroo lahu sujjadan waqala ya abati hatha taweelu ruyaya min qablu qad ja'alaha rabbee haqqan waqad ahsana bee ith akhrajanee mina alssijni wajaa bikum mina albadwi min ba'di an nazagha alshshaytanu baynee wabayna ikhwatee inna rabbee lateefun lima yashao innahu huwa al'aleemu alhakeemu (Yūsuf 12:100)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उसने अपने माँ-बाप को ऊँची जगह सिंहासन पर बिठाया और सब उसके आगे सजदे मे गिर पड़े। इस अवसर पर उसने कहा, 'ऐ मेरे बाप! यह मेरे विगत स्वप्न का साकार रूप है। इसे मेरे रब ने सच बना दिया। और उसने मुझपर उपकार किया जब मुझे क़ैदख़ाने से निकाला और आप भाइयों के बीच फ़साद डलवा दिया था। निस्संदेह मेरा रब जो चाहता है उसके लिए सूक्ष्म उपाय करता है। वास्तव में वही सर्वज्ञ, अत्यन्त तत्वदर्शी है
English Sahih:
And he raised his parents upon the throne, and they bowed to him in prostration. And he said, "O my father, this is the explanation of my vision of before. My Lord has made it reality. And He was certainly good to me when He took me out of prison and brought you [here] from bedouin life after Satan had induced [estrangement] between me and my brothers. Indeed, my Lord is Subtle in what He wills. Indeed, it is He who is the Knowing, the Wise. ([12] Yusuf : 100)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ग़रज़) पहुँचकर यूसुफ ने अपने माँ बाप को तख्त पर बिठाया और सब के सब यूसुफ की ताज़ीम के वास्ते उनके सामने सजदे में गिर पड़े (उस वक्त) यूसुफ ने कहा ऐ अब्बा ये ताबीर है मेरे उस पहले ख्वाब की कि मेरे परवरदिगार ने उसे सच कर दिखाया बेशक उसने मेरे साथ एहसान किया जब उसने मुझे क़ैद ख़ाने से निकाला और बावजूद कि मुझ में और मेरे भाईयों में शैतान ने फसाद डाल दिया था उसके बाद भी आप लोगों को गाँव से (शहर में) ले आया (और मुझसे मिला दिया) बेशक मेरा परवरदिगार जो कुछ करता है उसकी तद्बीर खूब जानता है बेशक वह बड़ा वाकिफकार हकीम है