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فَلَمَّا رَجَعُوْٓا اِلٰٓى اَبِيْهِمْ قَالُوْا يٰٓاَبَانَا مُنِعَ مِنَّا الْكَيْلُ فَاَرْسِلْ مَعَنَآ اَخَانَا نَكْتَلْ وَاِنَّا لَهٗ لَحٰفِظُوْنَ  ( يوسف: ٦٣ )

So when
فَلَمَّا
तो जब
they returned
رَجَعُوٓا۟
वो लौटे
to
إِلَىٰٓ
तरफ़ अपने वालिद के
their father
أَبِيهِمْ
तरफ़ अपने वालिद के
they said
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
"O our father!
يَٰٓأَبَانَا
ऐ हमारे अब्बा जान
Has been denied
مُنِعَ
रोक दिया गया
to us
مِنَّا
हमसे
the measure
ٱلْكَيْلُ
पैमाना (ग़ल्ला)
so send
فَأَرْسِلْ
तो भेज दें
with us
مَعَنَآ
साथ हमारे
our brother
أَخَانَا
हमारे भाई को
(that) we will get measure
نَكْتَلْ
हम नाप भर ग़ल्ला लाऐं
And indeed we
وَإِنَّا
और बेशक हम
for him
لَهُۥ
उसकी
(will) surely (be) guardians"
لَحَٰفِظُونَ
अलबत्ता हिफ़ाज़त करने वाले हैं

Falamma raja'oo ila abeehim qaloo ya abana muni'a minna alkaylu faarsil ma'ana akhana naktal wainna lahu lahafithoona (Yūsuf 12:63)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर जब वे अपने बाप के पास लौटकर गए तो कहा, 'ऐ मेरे बाप! (अनाज की) माप हमसे रोक दी गई है। अतः हमारे भाई को हमारे साथ भेज दीजिए, ताकि हम माप भर लाएँ; और हम उसकी रक्षा के लिए तो मौजूद ही हैं।'

English Sahih:

So when they returned to their father, they said, "O our father, [further] measure has been denied to us, so send with us our brother [that] we will be given measure. And indeed, we will be his guardians." ([12] Yusuf : 63)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(और इस लालच में) यायद फिर पलट के आएं ग़रज़ जब ये लोग अपने वालिद के पास पलट के आए तो सब ने मिलकर अर्ज़ की ऐ अब्बा हमें (आइन्दा) गल्ले मिलने की मुमानिअत (मना) कर दी गई है तो आप हमारे साथ हमारे भाई (बिन यामीन) को भेज दीजिए