لَهٗ مُعَقِّبٰتٌ مِّنْۢ بَيْنِ يَدَيْهِ وَمِنْ خَلْفِهٖ يَحْفَظُوْنَهٗ مِنْ اَمْرِ اللّٰهِ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَا يُغَيِّرُ مَا بِقَوْمٍ حَتّٰى يُغَيِّرُوْا مَا بِاَنْفُسِهِمْۗ وَاِذَآ اَرَادَ اللّٰهُ بِقَوْمٍ سُوْۤءًا فَلَا مَرَدَّ لَهٗ ۚوَمَا لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ مِنْ وَّالٍ ( الرعد: ١١ )
Lahu mu'aqqibatun min bayni yadayhi wamin khalfihi yahfathoonahu min amri Allahi inna Allaha la yughayyiru ma biqawmin hatta yughayyiroo ma bianfusihim waitha arada Allahu biqawmin sooan fala maradda lahu wama lahum min doonihi min walin (ar-Raʿd 13:11)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उसके रक्षक (पहरेदार) उसके अपने आगे और पीछे लगे होते हैं जो अल्लाह के आदेश से उसकी रक्षा करते है। किसी क़ौम के लोगों को जो कुछ प्राप्त होता है अल्लाह उसे बदलता नहीं, जब तक कि वे स्वयं अपने आपको न बदल डालें। और जब अल्लाह किसी क़ौम का अनिष्ट चाहता है तो फिर वह उससे टल नहीं सकता, और उससे हटकर उनका कोई समर्थक और संरक्षक भी नहीं
English Sahih:
For him [i.e., each one] are successive [angels] before and behind him who protect him by the decree of Allah. Indeed, Allah will not change the condition of a people until they change what is in themselves. And when Allah intends for a people ill, there is no repelling it. And there is not for them besides Him any patron. ([13] Ar-Ra'd : 11)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(उसके नज़दीक) सब बराबर हैं (आदमी किसी हालत में हो मगर) उस अकेले के लिए उसके आगे उसके पीछे उसके निगेहबान (फरिश्ते) मुक़र्रर हैं कि उसको हुक्म ख़ुदा से हिफाज़त करते हैं जो (नेअमत) किसी क़ौम को हासिल हो बेशक वह लोग खुद अपनी नफ्सानी हालत में तग्य्युर न डालें ख़ुदा हरगिज़ तग्य्युर नहीं डाला करता और जब ख़ुदा किसी क़ौम पर बुराई का इरादा करता है तो फिर उसका कोई टालने वाला नहीं और न उसका उसके सिवा कोई वाली और (सरपरस्त) है