لِلَّذِيْنَ اسْتَجَابُوْا لِرَبِّهِمُ الْحُسْنٰىۗ وَالَّذِيْنَ لَمْ يَسْتَجِيْبُوْا لَهٗ لَوْ اَنَّ لَهُمْ مَّا فِى الْاَرْضِ جَمِيْعًا وَّمِثْلَهٗ مَعَهٗ لَافْتَدَوْا بِهٖ ۗ اُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ سُوْۤءُ الْحِسَابِ ەۙ وَمَأْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ۗوَبِئْسَ الْمِهَادُ ࣖ ( الرعد: ١٨ )
Lillatheena istajaboo lirabbihimu alhusna waallatheena lam yastajeeboo lahu law anna lahum ma fee alardi jamee'an wamithlahu ma'ahu laiftadaw bihi olaika lahum sooo alhisabi wamawahum jahannamu wabisa almihadu (ar-Raʿd 13:18)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिन लोगों ने अपने रब का आमंत्रण स्वीकार कर लिया, उनके लिए अच्छा पुरस्कार है। रहे वे लोग जिन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया यदि उनके पास वह सब कुछ हो जो धरती में हैं, बल्कि उसके साथ उतना और भी हो तो अपनी मुक्ति के लिए वे सब दे डालें। वही हैं, जिनका बुरा हिसाब होगा। उनका ठिकाना जहन्नम है और वह अत्यन्त बुरा विश्राम-स्थल है
English Sahih:
For those who have responded to their Lord is the best [reward], but those who did not respond to Him – if they had all that is in the earth entirely and the like of it with it, they would [attempt to] ransom themselves thereby. Those will have the worst account, and their refuge is Hell, and wretched is the resting place. ([13] Ar-Ra'd : 18)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
जिन लोगों ने अपने परवरदिगार का कहना माना उनके लिए बहुत बेहतरी है और जिन लोगों ने उसका कहा न माना (क़यामत में उनकी ये हालत होगी) कि अगर उन्हें रुए ज़मीन के सब ख़ज़ाने बल्कि उसके साथ इतना और मिल जाए तो ये लोग अपनी नजात के बदले उसको (ये खुशी) दे डालें (मगर फिर भी कोई फायदा नहीं) यही लोग हैं जिनसे बुरी तरह हिसाब लिया जाएगा और आख़िर उन का ठिकाना जहन्नुम है और वह क्या बुरी जगह है