اللّٰهِ الَّذِيْ لَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ وَوَيْلٌ لِّلْكٰفِرِيْنَ مِنْ عَذَابٍ شَدِيْدٍۙ ( ابراهيم: ٢ )
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के
(is) the One
ٱلَّذِى
वो ज़ात
to Him (belongs)
لَهُۥ
उसी के लिए है
whatever
مَا
जो कुछ
(is) in
فِى
आसमानों में है
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
and whatever
وَمَا
और जो कुछ
(is) in
فِى
ज़मीन में है
the earth
ٱلْأَرْضِۗ
ज़मीन में है
And woe
وَوَيْلٌ
और हलाकत है
to the disbelievers
لِّلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
from
مِنْ
सख़्त अज़ाब से
the punishment
عَذَابٍ
सख़्त अज़ाब से
severe
شَدِيدٍ
सख़्त अज़ाब से
Allahi allathee lahu ma fee alssamawati wama fee alardi wawaylun lilkafireena min 'athabin shadeedin (ʾIbrāhīm 14:2)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिसका वह सब है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। इनकार करनेवालों के लिए तो एक कठोर यातना के कारण बड़ी तबाही है
English Sahih:
Allah, to whom belongs whatever is in the heavens and whatever is on the earth. And woe [i.e., destruction] to the disbelievers from a severe punishment – ([14] Ibrahim : 2)