وَاصْبِرْ وَمَا صَبْرُكَ اِلَّا بِاللّٰهِ وَلَا تَحْزَنْ عَلَيْهِمْ وَلَا تَكُ فِيْ ضَيْقٍ مِّمَّا يَمْكُرُوْنَ ( النحل: ١٢٧ )
And be patient
وَٱصْبِرْ
और सब्र कीजिए
and not
وَمَا
और नहीं
(is) your patience
صَبْرُكَ
सब्र आपका
but
إِلَّا
मगर
from Allah
بِٱللَّهِۚ
साथ अल्लाह (की तोफ़ीक़) के
And (do) not
وَلَا
और ना
grieve
تَحْزَنْ
आप ग़म कीजिए
over them
عَلَيْهِمْ
उन पर
and (do) not
وَلَا
और ना
be
تَكُ
आप हों
in
فِى
घुटन/तंगी में
distress
ضَيْقٍ
घुटन/तंगी में
for what
مِّمَّا
उससे जो
they plot
يَمْكُرُونَ
वो चालें चल रहे हैं
Waisbir wama sabruka illa biAllahi wala tahzan 'alayhim wala taku fee dayqin mimma yamkuroona (an-Naḥl 16:127)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
सब्र से काम लो - और तुम्हारा सब्र अल्लाह ही से सम्बद्ध है - और उन पर दुखी न हो और न उससे दिल तंग हो जो चालें वे चलते है
English Sahih:
And be patient, [O Muhammad], and your patience is not but through Allah. And do not grieve over them and do not be in distress over what they conspire. ([16] An-Nahl : 127)