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وَاٰتِ ذَا الْقُرْبٰى حَقَّهٗ وَالْمِسْكِيْنَ وَابْنَ السَّبِيْلِ وَلَا تُبَذِّرْ تَبْذِيْرًا   ( الإسراء: ٢٦ )

And give
وَءَاتِ
और दो
the relatives
ذَا
क़राबतदार को
the relatives
ٱلْقُرْبَىٰ
क़राबतदार को
his right
حَقَّهُۥ
हक़ उसका
and the needy
وَٱلْمِسْكِينَ
और मिस्कीन को
and the wayfarer
وَٱبْنَ
और मुसाफ़िर को
and the wayfarer
ٱلسَّبِيلِ
और मुसाफ़िर को
and (do) not
وَلَا
और ना
spend
تُبَذِّرْ
तुम बेजा ख़र्च करो
wastefully
تَبْذِيرًا
बेजा ख़र्च करना

Waati tha alqurba haqqahu waalmiskeena waibna alssabeeli wala tubaththir tabtheeran (al-ʾIsrāʾ 17:26)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और नातेदार को उसका हक़ दो मुहताज और मुसाफ़िर को भी - और फुज़ूलख़र्ची न करो

English Sahih:

And give the relative his right, and [also] the poor and the traveler, and do not spend wastefully. ([17] Al-Isra : 26)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और क़राबतदारों और मोहताज और परदेसी को उनका हक़ दे दो और ख़बरदार फुज़ूल ख़र्ची मत किया करो