وَلَا تَجْعَلْ يَدَكَ مَغْلُوْلَةً اِلٰى عُنُقِكَ وَلَا تَبْسُطْهَا كُلَّ الْبَسْطِ فَتَقْعُدَ مَلُوْمًا مَّحْسُوْرًا ( الإسراء: ٢٩ )
And (do) not
وَلَا
और ना
make
تَجْعَلْ
तुम रखो
your hand
يَدَكَ
हाथ अपना
chained
مَغْلُولَةً
बँधा हुआ
to
إِلَىٰ
तरफ़ अपनी गर्दन के
your neck
عُنُقِكَ
तरफ़ अपनी गर्दन के
and not
وَلَا
और ना
extend it
تَبْسُطْهَا
तुम फैला दो उसे
(to its) utmost
كُلَّ
पूरा
reach
ٱلْبَسْطِ
फैला देना
so that you sit
فَتَقْعُدَ
पस तुम बैठ जाओगे
blameworthy
مَلُومًا
मलामत ज़दा
insolvent
مَّحْسُورًا
हसरत ज़दा होकर
Wala taj'al yadaka maghloolatan ila 'unuqika wala tabsutha kulla albasti fataq'uda malooman mahsooran (al-ʾIsrāʾ 17:29)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और अपना हाथ न तो अपनी गरदन से बाँधे रखो और न उसे बिलकुल खुला छोड़ दो कि निन्दित और असहाय होकर बैठ जाओ
English Sahih:
And do not make your hand [as] chained to your neck or extend it completely and [thereby] become blamed and insolvent. ([17] Al-Isra : 29)