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وَلَا تَقْتُلُوْٓا اَوْلَادَكُمْ خَشْيَةَ اِمْلَاقٍۗ نَحْنُ نَرْزُقُهُمْ وَاِيَّاكُمْۗ اِنَّ قَتْلَهُمْ كَانَ خِطْـًٔا كَبِيْرًا   ( الإسراء: ٣١ )

And (do) not
وَلَا
और ना
kill
تَقْتُلُوٓا۟
तुम क़त्ल करो
your children
أَوْلَٰدَكُمْ
औलाद अपनी
(for) fear
خَشْيَةَ
ख़ौफ़ से
(of) poverty
إِمْلَٰقٍۖ
मुफ़लिसी के
We
نَّحْنُ
हम
(We) provide for them
نَرْزُقُهُمْ
हम रिज़्क़ देते हैं उन्हें
and for you
وَإِيَّاكُمْۚ
और तुम्हें (भी)
Indeed
إِنَّ
बेशक
their killing
قَتْلَهُمْ
क़त्ल करना उनका
is
كَانَ
है
a sin
خِطْـًٔا
ख़ता
great
كَبِيرًا
बहुत बड़ी

Wala taqtuloo awladakum khashyata imlaqin nahnu narzuquhum waiyyakum inna qatlahum kana khitan kabeeran (al-ʾIsrāʾ 17:31)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और निर्धनता के भय से अपनी सन्तान की हत्या न करो, हम उन्हें भी रोज़ी देंगे और तुम्हें भी। वास्तव में उनकी हत्या बहुत ही बड़ा अपराध है

English Sahih:

And do not kill your children for fear of poverty. We provide for them and for you. Indeed, their killing is ever a great sin. ([17] Al-Isra : 31)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (लोगों) मुफलिसी (ग़रीबी) के ख़ौफ से अपनी औलाद को क़त्ल न करो (क्योंकि) उनको और तुम को (सबको) तो हम ही रोज़ी देते हैं बेशक औलाद का क़त्ल करना बहुत सख्त गुनाह है