۞ وَتَرَى الشَّمْسَ اِذَا طَلَعَتْ تَّزَاوَرُ عَنْ كَهْفِهِمْ ذَاتَ الْيَمِيْنِ وَاِذَا غَرَبَتْ تَّقْرِضُهُمْ ذَاتَ الشِّمَالِ وَهُمْ فِيْ فَجْوَةٍ مِّنْهُۗ ذٰلِكَ مِنْ اٰيٰتِ اللّٰهِ ۗمَنْ يَّهْدِ اللّٰهُ فَهُوَ الْمُهْتَدِ وَمَنْ يُّضْلِلْ فَلَنْ تَجِدَ لَهٗ وَلِيًّا مُّرْشِدًا ࣖ ( الكهف: ١٧ )
Watara alshshamsa itha tala'at tazawaru 'an kahfihim thata alyameeni waitha gharabat taqriduhum thata alshshimali wahum fee fajwatin minhu thalika min ayati Allahi man yahdi Allahu fahuwa almuhtadi waman yudlil falan tajida lahu waliyyan murshidan (al-Kahf 18:17)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और तुम सूर्य को उसके उदित होते समय देखते तो दिखाई देता कि वह उनकी गुफा से दाहिनी ओर को बचकर निकल जाता है और जब अस्त होता है तो उनकी बाई ओर से कतराकर निकल जाता है। और वे है कि उस (गुफा) के एक विस्तृत स्थान में हैं। यह अल्लाह की निशानियों में से है। जिसे अल्लाह मार्ग दिखाए, वही मार्ग पानेवाला है और जिसे वह भटकता छोड़ दे उसका तुम कोई सहायक मार्गदर्शक कदापि न पाओगे
English Sahih:
And [had you been present], you would see the sun when it rose, inclining away from their cave on the right, and when it set, passing away from them on the left, while they were [lying] within an open space thereof. That was from the signs of Allah. He whom Allah guides is the [rightly] guided, but he whom He sends astray – never will you find for him a protecting guide. ([18] Al-Kahf : 17)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ग़रज़ ये ठान कर ग़ार में जा पहुँचे) कि जब सूरज निकलता है तो देखेगा कि वह उनके ग़ार से दाहिनी तरफ झुक कर निकलता है और जब ग़ुरुब (डुबता) होता है तो उनसे बायीं तरफ कतरा जाता है और वह लोग (मजे से) ग़ार के अन्दर एक वसीइ (बड़ी) जगह में (लेटे) हैं ये ख़ुदा (की कुदरत) की निशानियों में से (एक निशानी) है जिसको हिदायत करे वही हिदायत याफ्ता है और जिस को गुमराह करे तो फिर उसका कोई सरपरस्त रहनुमा हरगिज़ न पाओगे